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सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों पर बगैर दया के चले मुकदमा: हाईकोर्ट

चेन्नई,नवसत्ता : मद्रास हाईकोर्ट ने चुने हुए जन प्रतिनिधियों के जमीन हथियाने के मामले में नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने कहा, ‘ऐसे जमीन हथियाना खतरनाक ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी खतरा है. यही कारण है कि संवैधानिक अदालतों ने बार-बार कहा है कि गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव लडऩे नहीं दिया जाए.’

दरअसल, उच्च न्यायालय एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था पंचायत अध्यक्ष और कुछ वार्ड सदस्यों ने सत्ता और बाहुबल के दम पर जनता के पैसे को लूटा और सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है.

कोर्ट ने कहा कि ग्रमीण और शहरी इलाकों में इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए. वहीं अगर निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की तरफ से ऐसी अवैध गतिविधियां की जाती हैं, तो उनके खिलाफ निर्दयता के साथ मुकदमा चलाया जाना चाहिए.

कोर्ट के आदेश में कहा गया है, ‘जब शक्ति का इस तरह से गलत इस्तेमाल होता है, तो वे लोगों की इच्छा के खिलाफ काम कर रहे होते हैं. ऐसे में बगैर देरी किए कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए.’ जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक दलों या सत्ताधारी लोगों के खिलाफ जमीन हथियाने की शिकायतें बड़े स्तर पर हैं. इनका पता अधिकारी नहीं, स्थानीय लोगों की तरफ से लगाया जाता है.’

जज ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आम नागरिक राजनीतिक रूप से ताकतवर लोगों के खिलाफ आपत्ति नहीं उठा पाते हैं. ऐसे में कोर्ट ने अधिकारियों से मामले में अज्ञात शिकायतों पर भी जांच करने के लिए कहा है. न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पुलिस, राजस्व विभाग या अन्य विभागों के कुछ अधिकारी सक्रिय या निष्क्रिय रूप से राजनीतिक दलों से जुड़े जमीन हथियाने वालों के साथ मिलीभगत करते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्दीधारियों सेवाओं के गौरव को बगैर किसी समझौते के बनाए रखा जाना चाहिए.

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