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एलआईसी आईपीओ में चीनी कंपनियां नहीं कर सकेंगी निवेश

नई दिल्ली, नवसत्ता: देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम का इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग का आने वाला है. केंद्र सरकार एलआईसी के आईपीओ में चीनी निवेशकों को रोकना चाहती है. पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुए संघर्ष के बाद से भारत सरकार लगातार चीन के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है. एलआईसी का आईपीओ 12.2 अरब डॉलर का रहने की उम्मीद है.
एलआईसी के आईपीओ में सरकार चीनी निवेशकों को एंट्री नहीं देना चाहती है. चार वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और एक बैंकर ने रॉयटर्स को बताया कि दोनों देशों के बीच तनाव के चलते सरकार एलआईसी आईपीओ में चीनी निवेश को रोकना चाहती है.
सरकार का मानना है कि एलआईसी चीन की ओर से किया जाने वाला निवेश जोखिम पैदा कर सकता है. इसलिए जोखिम को देखते हुए सरकार चीनी कंपनियों पर पाबंदी लगाने को लेकर विचार कर रही है.
अब कब आएगा एलआईसी आईपीओ
एलआईसी का आईपीओ जनवरी-मार्च, 2022 की तिमाही में आने की उम्मीद है. सरकार ने गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक, जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड, कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी, जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड, सिटीग्रुप इंक तथा नोमुरा होल्डिंग्स इंक सहित कुल 10 बीआरएलएम कंपनियों को आईपीओ के प्रबंधन के लिए किया गया है.
90 हजार करोड़ जुटाने की तैयारी
सरकार इस आईपीओ की मदद से 90 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखी है. 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलआईसी के आईपीओ का ऐलान किया था. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने विनिवेश और निजीकरण का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए रखा है. ऐसे में एलआईसी आईपीओ से सरकार को काफी बड़े फंड की उम्मीद है.

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