Navsatta
खास खबरचर्चा मेंदेशमुख्य समाचारराजनीतिराज्य

रामायण कॉनक्लेव का राष्ट्रपति ने किया उद्घाटन, कहा- राम सबके हैं और राम सब में हैं

अयोध्या,नवसत्ता : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन दिनों उत्तर प्रदेश के चार दिवसीय दौरे पर हैं। इसी बीच राष्ट्रपति आज अयोध्या पहुंचे और रामायण कॉनक्लेव का उद्घाटन किया। साथ ही राष्ट्रपति ने पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की कई योजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास भी किया। कार्यक्रम को दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा-राम सबके हैं और राम सब में हैं। अयोध्या मानव सेवा का उत्कृष्ट केंद्र बने। शिक्षा और शोध का भी वैश्विक केंद्र बनाया जाए। रामकथा के महत्व के विषय में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है, रामकथा सुंदर करतारी, संसय बिहग उड़ावनि-हारी। यानी राम की कथा हाथ की वह मधुर ताली है, जो संदेहरूपी पक्षियों को उड़ा देती है।

राष्ट्रपति कोविंद ने आगे कहा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि रामायण और महाभारत, इन दोनों ग्रन्थों में, भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं। यह कहा जा सकता है कि भारतीय जीवन मूल्यों के आदर्श, उनकी कहानियां और उपदेश, रामायण में समाहित हैं। उन्होंने कहा कि रामायण ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जो रामकथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करता है। मुझे विश्वास है कि रामायण के प्रचार-प्रसार हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास भारतीय संस्कृति और पूरी मानवता के हित में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

उन्होंने कहा कि राम के बिना अयोध्या, अयोध्या है ही नहीं। अयोध्या तो वही है, जहां राम हैं। इस नगरी में प्रभु राम सदा के लिए विराजमान हैं। इसलिए यह स्थान सही अर्थों में अयोध्या है। राष्ट्रपति ने बताया अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है, जिसके साथ युद्ध करना असंभव हो। रघु, दिलीप, अज, दशरथ और राम जैसे रघुवंशी राजाओं के पराक्रम व शक्ति के कारण उनकी राजधानी को अपराजेय माना जाता था। इसलिए इस नगरी का अयोध्या नाम सर्वदा सार्थक रहेगा।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा रामायण में दर्शन के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता भी उपलब्ध है जो जीवन के प्रत्येक पक्ष में हमारा मार्गदर्शन करती है। उन्होंने आगे कहा कि संतान का माता-पिता के साथ, भाई का भाई के साथ, पति का पत्नी के साथ, गुरु का शिष्य के साथ, मित्र का मित्र के साथ, शासक का जनता के साथ और मानव का प्रकृति व पशु-पक्षियों के साथ कैसा आचरण होना चाहिए, इन सभी आयामों पर, रामायण में उपलब्ध आचार संहिता, हमें सही मार्ग पर ले जाती है।
राष्ट्रपति ने रामायण की चौपाइयों का मतलब भी बताया, उन्होंने कहा ‘नहिं दरिद्र कोउ, दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध, न लच्छन हीन’ यानी रामचरितमानस में एक आदर्श व्यक्ति और एक आदर्श समाज दोनों का वर्णन मिलता है। रामराज्य में आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ आचरण की श्रेष्ठता का बहुत ही सहज और हृदयग्राही विवरण मिलता है।

‘दंड जतिन्ह कर भेद जहं, नर्तक नृत्य समाज। जीतहु मनहि सुनिअ अस, रामचन्द्र के राज।’ यानी ऐसे अभाव-मुक्त आदर्श समाज में अपराध की मानसिकता तक विलुप्त हो चुकी थी। दंड विधान की आवश्यकता ही नहीं थी। किसी भी प्रकार का भेद-भाव था ही नहीं।

राष्ट्रपति ने कहा रामकथा की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्वव्यापी है। उत्तर भारत में गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित-मानस, भारत के पूर्वी हिस्से में कृत्तिवास रामायण, दक्षिण में कंबन रामायण जैसे रामकथा के अनेक पठनीय रूप प्रचलित हैं। उन्होंने कहा विश्व के अनेक देशों में रामकथा की प्रस्तुति की जाती है। इंडोनेशिया के बाली द्वीप की रामलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध है। मालदीव, मारिशस, त्रिनिदाद व टोबेगो, नेपाल, कंबोडिया और सूरीनाम सहित अनेक देशों में प्रवासी भारतीयों ने रामकथा व रामलीला को जीवंत बनाए रखा है।

मुख्यमंत्री योगी बोले- करोड़ों लोगों की सांस व रोम-रोम में बसे हैं राम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपति का अयोध्या आगमन हम सबके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने प्रभु राम का वंदन करते हुए कहा कि राम जन-जन के हैं। वह व्यापक आस्था के प्रतीक हैं। अगर किसी भी नाम के आगे सर्वाधिक शब्द का प्रयोग हुआ है तो वह भगवान राम का नाम है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति के नाम का भी जिक्र किया। बोले-राष्ट्रपति के नाम के आगे भी श्रीराम का नाम जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदर्शित करता है कि करोड़ों लोगों की सांस व रोम-रोम में राम बसे हैं। राम के प्रति सनातन आस्था संतों व संघ परिवार के मार्गदर्शन के फलस्वरूप पांच अगस्त 2020 को वह समय आया था जब पीएम नरेंद्र मोदी ने राममंदिर निर्माण का कार्यारंभ किया था।

राज्यपाल बोलीं- राममंदिर वास्तव में राष्ट्र का मंदिर है

रामायण कान्क्लेव के उद्घाटन अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राममंदिर वास्तव में राष्ट्र का मंदिर है जो युगों तक प्रेरणा देता रहेगा। अयोध्या प्राचीन काल से ही संपूर्ण विश्व में विख्यात रही है। राम की जन्मस्थली होने का सौभाग्य भी इस नगर को प्राप्त है। गौरव की बात है कि अवधी साहित्य का लोकप्रिय ग्रंथ रामचरित मानस के लेखन की शुरूआत अयोध्या से ही हुई थी। सांस्कृतिक मानचित्र पर अयोध्या पहला शहर है जहां विभिन्न पंथ के महापुरूष मौजूद रहे हैं। जैन धर्म के आदिदेव ऋषभदेव की भी जन्मस्थली अयोध्या है। उन्होंने कहा कि रामनगरी की लोकप्रियता को पुनःस्थापित करने के लिए प्रदेश एवं केंद्र सरकार प्रयासरत है। दीपोत्सव अंतरराष्ट्रीय आयोजन बन चुका है। मैं भी इसकी साक्षी रही हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने जब राममंदिर का कार्यारंभ किया था तो मैं वहां थी।

संबंधित पोस्ट

किसानों को हर परिस्थिति में आगे बढ़ने का अवसर दे रही डबल इंजन की सरकारः सीएम योगी

navsatta

किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर नेशनल हाईवे पर रास्ता खोला, राकेश टिकैत बोले- अब संसद में बैठेंगे

navsatta

शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ग्राम पंचायतों को संबोधित करेंगे पीएम मोदी

Editor

Leave a Comment