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तालिबान के समर्थन में बयान देना सपा एमपी को पड़ा भारी, दर्ज हुआ देशद्रोह का केस

नई दिल्ली,नवसत्ता : यूपी के संभल जिले से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का तालिबान के समर्थन में बयान देना फजीहत का कारण बन गया है। उनके खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। दरअसल सपा सांसद ने तालिबानियों की तुलना भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों से की थी। वहीं अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने तालिबान के हौसले को सलाम करते हुए कहा कि उन्होंने सबसे मजबूत फौज को शिकस्त दिया है।
बता दें कि सपा सांसद के बयान पर उनके खिलाफ धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए, 295 आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। दो अन्य लोगों ने फेसबुक वीडियो में कही ऐसी ही बातें, उन पर भी केस दर्ज किया गया है। सम्भल एसपी ने बताया कि ऐसे बयान देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों से की तालिबानियों की तुलना
सपा सांसद ने अफगानिस्तान में तालिबान की तुलना भारत में ब्रिटिश राज से की थी। बर्क ने कहा था कि हिंदुस्तान में जब अंग्रेजों का शासन था, तब उन्हें भगाने हमने संघर्ष किया था। इसी तरह तालिबान ने भी अपने देश को आजाद कराया। तालिबान ने रूस और अमेरिका जैसे ताकतवर मुल्कों को अपने देश में नहीं ठहरने दिया।

भाजपा ने सार्वजनिक माफी मांगने को कहा था
बर्क के बयान के बाद उनके खिलाफ आक्रोश फैलने लगा था। हालांकि भाजपा ने उनसे सावर्जनजिक तौर पर माफी मांगने को कहा था। यूपी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि समाजवादी पार्टी में कुछ भी हो सकता है। अगर कोई ऐसा बयान दे रहा है, तो उसमें और पाकिस्तान के पीएम इमरान खान में कोई अंतर नहीं है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तालिबान को सराहा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने भी तालिबान की तारीफ की है। नोमानी ने तालिबान को सलाम करते हुए कहा कि उन्होंने दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं को शिकस्त दी है। इन नौजवानों ने काबुल की जमीन को चूमा है और अल्लाह को शुक्रिया कहा।

दिल्ली हिंसा में उमर खालिद की जमानत याचिका टली
इधर, दिल्ली हिंसा मामले में कड़कडड़ूमा कोर्ट ने आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई 23 अगस्त तक टाल दी है। खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने उस पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया है। फरवरी 2020 में हुई दिल्ली हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी। करीब 700 लोग घायल हुए थे। खालिद के अलावा, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा, जेएनयू छात्राएं नताशा नरवाल और देवांगना कालिता, जामिया समन्वयन समिति की सदस्य सफूरा जरगर, आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था।

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