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ऑफ बीटखास खबर

सावन तुम ऐसे आना

प्रिया पाण्डेय “रोशनी “
(हूघली, पश्चिम बंगाल)

सावन अबके बरस तुम ऐसे आना,
हर दिलों की नफ़रतों को मिटाना,
जो रूठें हो उनको मनाना,
अपनी रिमझिम फुहारों से फूल बरसाना,
सावन अबकी बरस तुम ऐसे आना,
तपती धरती की तपन मिटाना,
तेरे वियोग में तड़पती हैं कबसे,
तुम इसकी तड़प मिटाना,
सावन अबकी बरस तुम ऐसे आना,
विरहन क़े मन में मिलन क़े आस जगाना,
कब तुम आओगे बैठ क़र साथ बहूत सारी शिकायत हैं करनी,
विरह में काटे हुए रात -दिन
सावन क़े पावन महीने में मेरा इंतज़ार कम करना,
सावन अबके साल तुम ऐसे आना,
किसानों क़े फसलों पर नेह बरसाना,
मेहनत का उनको फल दिलाना,
बुलबुल चहक उठे वन में,
खुशियों से उनका दामन भरना,
अबकी सावन तुम ऐसे आना,
बिन बरसे ना जाना सावन,
विरही चातक की तड़पन से तू तों ना अनजान हैं,
अब प्रश्नन अनेकों उमड़ रहे,
सुने मन क़े गलियारों में,
कभी ना वों मुझसे रूठें रिमझिम सावन भरे फुहारों में,
अबकी सावन तुम ऐसे आना,
उमड़ -घूमड़ क़र आना ऐसे,
पवन बहे मदमस्त,
गुनगुनाना झरने क़े जैसे,
शिव की भक्ती में सब हो ऐसे लिन,
कोरोना का विष मिटाकर,
अमृत की वर्षा बरसाना,
अबकी सावन तुम ऐसे आना,
चम-चम बिजली चमकती हैं,
मेंरी आँखों को बस इंतज़ार था तुम्हारे आने का,
मिट्टी की सोंधी महक भी लाना,
हर आँखों में खुशियाँ लाना,
पिया मिलन की आस जगाना,
दिल क़े सुने मन में,
प्रेम -प्रिया का फूल खिलाना,
सावन अबकी बरस तुम ऐसे आना।

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