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गीता पढ़ व मनन कर जीवन-रीति सीखें युवाःराजेश मिश्र

प्रतापगढ,नवसत्ताः “श्रीमद्भगवद्गीता एक सार्वकालिक ग्रन्थ है जो समाज के हर वर्ग और वय के लोगों के लिए पूरे जीवन में सर्वथा प्रासंगिक है। अपने भविष्य के निर्माण के लिए प्रयत्नशील युवकों को तो इससे विशेष सहायता मिल सकती हैय इस निमित्त उन्हें नियमित रूप से गीता पढ़नी और उस पर मनन करना चाहिए।” यह बात युवा शिक्षक नेता राजेश कुमार मिश्र ने यहाँ एक गोष्ठी में कही। यह ‘श्रीमद्भगवद्गीता स्वाध्याय मण्डल’, जनपद प्रतापगढ़ के तत्वावधान में आयोजित की गयी। गोष्ठी का विषय ष्श्रीमद्भगवद्गीता की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उपादेयता था। इसका संयोजन इंजी. विशाल नाथ तिवारी ने किया।

अपने उद्बोधन में राजेश कुमार मिश्र ने कहा कि गीता का सन्देश आज की युवा पीढ़ी के ज्ञान-दर्शन में समग्र रूप से प्रासङ्गिक है। सभी युवजन इसके निहितार्थ को समझ कर वर्तमान समाज में व्याप्त अनेक विसङ्गतियों को भी दूर के सकते हैं। संयोजक विशाल नाथ तिवारी ने ‘श्रीमद्भगवद्गीता स्वाध्याय मण्डल’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गीता के सन्देश को हर घर तक पहुँचाना इसका उद्देश्य है। आयोजक डॉ० लालजी त्रिपाठी ने ‘गीता’ के कर्मयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म में रहते हुए उस (कर्म) में आसक्ति से दूर रहने का सन्देश दिया है।

डॉ० बृजभान सिंह ने कहा कि गीता के अध्ययन से हमें जीवन जीने की कला का ज्ञान होता है। डॉक्टर पीयूष कान्त शर्मा ने गीता के ऐतिहासिक पक्ष पर अपने विचार रखे। समाजसेवी सञ्जय शुक्ल ने आज के युवाओं में गिरते नैतिकता के स्तर को उठाने एवं सामाजिक मूल्य के प्रसार के लिए गीता को उपयोगी बताया। पत्रकार अनूप त्रिपाठी ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता एकमात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमें कर्मकाण्ड से दूर रहकर मनुष्य के लिए हर स्तर पर जीवनोपयोगी सन्देश भरे पड़े हैं।

इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मड़ियाहूँ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. लाल जी त्रिपाठी, प्रताप बहादुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० बृजभान सिंह और प्रबन्धक एवं समाजसेवी अनिल प्रताप त्रिपाठी ने साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित करते हुए किया। आयोजक राजेश मिश्र ने गोष्ठी में पधारे सभी अतिथियों को अङ्गवस्त्रम, श्रीफल एवं श्रीमद्भगवद्गीता भेंट कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम का समापन भगवान श्रीकृष्ण की आरती के साथ हुआ। गोष्ठी में पत्रकार अमित पाण्डेय, साहित्यकार अनूप अनुपम, डॉ० गौरव त्रिपाठी, डॉक्टर सौरभ पाण्डेय, काशी नारायण मिश्र, श्री नारायण शुक्ल, आलोक, ऋषि वंश, प्रभा शङ्कर पाण्डेय, सुरेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, प्रभात मिश्र, सीतांशु ओझा, विजय शङ्कर पाण्डेय, पङ्कज तिवारी, सञ्जय शुक्ल, पीयूष जी, सन्तोष शुक्ल आदि ने प्रतिभाग किया।

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