नई दिल्ली,नवसत्ता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता और वृद्धि को लेकर एक उच्चस्तरीय वर्चुअल बैठक बुलाई। जिसमें मोदी ने देशभर के अस्पतालों में लग रहे 1500 से अधिक पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की प्रगति रिपोर्ट जानी। मोदी ने प्लांट की मॉनिटरिंग के लिए आईओटी जैसी तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया। इस पर अधिकारियों ने बताया कि इस पर काम चल रहा है। बता दें कि आईओटी(इंटरनेट ऑफ थिंग्स) के जरिये तमाम डिवाइस यानी उपकरणों को इंटरनेट के जरिये कनेक्ट कर दिया जाता है। इसके बाद ये जरूरत के हिसाब से ऑटोमेटिक ऑन-ऑफ होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर हुई बैठक में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष की मदद से देश भर में स्थापित किए जाने वाले ‘प्रेशर स्विंग एड्जॉप्र्शन’ चिकित्सीय ऑक्सीजन प्लांट का जल्द से जल्द क्रियान्वयन सुनिश्चित करने और इसके लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया। पीएमओ की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, इस बैठक में मोदी को पीएसए चिकित्सीय ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना संबंधी प्रगति से अवगत कराया गया। उन्हें बताया गया कि देश भर में 1500 से अधिक पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की जा रही है। इनमें पीएम केयर्स से आवंटित संयंत्रों के अलावा विभिन्न मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की ओर से आवंटित संयंत्र भी शामिल हैं।
पीएमओ के मुताबिक, पीएम मोदी ने अधिकारियों को ऑक्सीजन प्लांट के संचालन व रखरखाव के लिए अस्पताल के कर्मचारियों की उचित ट्रेनिंग प्रशिक्षण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में प्रशिक्षित कर्मी उपलब्ध होने चाहिए।
इस दौरान प्रधानमंत्री को बताया गया कि विशेषज्ञों की ओर से प्रशिक्षण संबंधी एक खाका तैयार किया गया है और उनके जरिए देशभर में 8000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री ने इन ऑक्सीजन संयंत्रों की कार्यप्रणाली और उनके प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर भी जोर दिया।
गौरतलब है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान इस साल अप्रैल-मई के महीने में ऑक्सीजन की मांग में अचानक तेजी आ गई थी। इसके मद्देनजर देश के कई राज्यों में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की कमी के मामले भी सामने आए थे। इसके बाद से सरकार की ओर से ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने और उसकी निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर आने की आशंका को देखते हुए प्रधानमंत्री लगातार बैठकें कर रहे हैं और भविष्य में ऑक्सीजन की कोई कमी ना हो, इसके लिए कदम भी उठा रहे हैं।