राकेश कुमार
ऊंचाहार,रायबरेली,नवसत्ता:बारिश के मौसम में रायबरेली-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग मौत की सड़क में तब्दील हो जाता है।पिछले वर्ष जुलाई से सितंबर के बीच इस इलाके में सौ से ज़्यादा छोटी बड़ी मार्ग दुर्घटनाएं हुई हैं।इन दुर्घटनाओं में हर तीसरी दुर्घटना आवारा पशु के कारण हुई है। बरसात के मौसम में दुर्घटनओं की संख्या बढ जाती है। बारिश में दो पहिया वाहन चालक की गाड़ी ज्यादातर तो स्लिप होती है।जिससे दुर्घटना की संख्या में इजाफा हो जाता है।दूसरी वजह आवारा मवेशी हैं। बरसात की वजह से खेत खलिहानों में जल भराव के कारण यह सड़क पर आ जाते हैं।आवारा मवेशियों के लिए आश्रय स्थल बन चुका है।जबकि बाकी अन्य मौसम में यही मवेशी खेत खलिहानों में नजर आते है।आए दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं में आम इंसान चोटिल हो रहा है तो वहीं मवेशियों की भी दर्दनाक मौत हो रही है।फिलहाल इस तरफ शासन प्रशासन का ध्यान भी नहीं जाता है।दुर्घटनाओं में घायल होने पर इंसान का तो इलाज भी संभव है लेकिन जानवर अगर चोटिल हुआ तो उसे देखने वाला भी कोई नहीं।आम जनमानस के लिए मेडिकल सुविधाएं हैं लेकिन बेज़ुबान जानवर बिना इलाज के ही तड़प कर मर जाते हैं।बेजुबानों का मृत शरीर सड़क पर पड़ा पड़ा सड़ जाता है।बदबू करने लगता है।लेकिन न कोई ऐसी संस्था है और न ही जगह है जहां इन बेजुबानों को जलाया या फिर दफनाया जा सके।बरसात के मौसम में मवेशियों के सड़ने और गलने से बीमारी बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है।बरसात के मौसम में इंसानों के साथ बेज़ुबान जानवरों की असमय मौत कष्टदायी।दरअसल अन्य कार्यक्रमों के साथ बरसात में पशु आश्रय स्थल बनाये जाने की भी प्राथमिकता होनी चाहिए।सरकारी स्तर पर यदि ऐसा प्रयास किया जाए तो इंसान और जानवर दोनो सुरक्षित होंगे