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कोरोना ने तोड़ कर रख दिया है न्याय दिलाने वाले अधिवक्ताओ को, खुद के साथ न्याय के लिए निहार रहे सरकार की ओर

राय अभिषेक

रायबरेली, नवसत्ता: कोरोना काल ने जीवन की तेज़ रफ़्तार को अचानक थाम दिया है| इस थमी हुई बेरंग ज़िन्दगी की वजह से समाज के सभी वर्ग प्रभावित है और सबकी अपनी अपनी दास्तान है और हमारे अधिवक्ता साथी भी इस विपरीत समय की धारा से जूझ रहे है| एक अधिवक्ता अपना पूरा जीवन दूसरो की समस्यायों को सुलझाने में लगा देता है| इस समय अपने काले कोट की गरिमा को बचाते हुए अपने वजूद को संभाल का रख रहे है और स्वयं चाहे जिस स्थिति से गुज़र रहे हो पर आज भी बिना किसी आर्थिक लाभ के समाज की सेवा में तत्पर है| दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान हमने 1 न्यायिक अधिकारी, 25 अधिवक्ता बंधुओ और 3 न्यायिक कर्मचारियों को संक्रमण की वजह से खो दिया, नवसत्ता परिवार सभी दिवंगत आत्माओ की शांति की प्रार्थना करता है और श्रद्धांजलि देता है| आज नवसत्ता ने जिले के कुछ अधिवक्ता बंधुओ से बात करके उनकी आपबीती जानने की कोशिश की तो उनकी भी हालत किसी भी प्रभावित वर्ग से भिन्न नहीं पाई गयी|

सेंट्रल बार एसोसिएशन, रायबरेली के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेन्द्र भदौरिया ने नवसत्ता से कहा कि समाज के सभी लोगो को तरह हम अधिवक्ताओं के लिए भी समस्या ही समस्या है| कचेहरी बंद हो गयी और, किसी भी प्रकार की आमदनी हो नहीं रही है| सरकार ने न्यायिक अधिकारियो और कर्मचारियों के लिए इस आपदा के समय अलग से व्यवस्था की है परन्तु हम लोगो के लिए किसी ने कुछ भी नहीं सोचा है| हमरे मुअक्किल भी बेरोज़गारी से जूझ रहे है इस समय तो उनसे भी हमारी फीस नहीं आ रही है, वास्तव में पूरी श्रंखला ही अस्त व्यस्त हो गयी है| संगठन के माध्यम से हम एक दुसरे की सहयता करते है और समाज के अभिन्न अंग होने के कारण और लोगो के दुःख दर्द में हम साथ खड़े रहते है| मैं अपनी तरफ से सभी को बोलूँगा की कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन जरूर करे, संक्रमण कम होता प्रतीत हो रहा है लेकिन पूर्णतः ख़त्म नहीं हुआ है|

सेन्ट्रल बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट रायबरेली के महामंत्री एडवोकेट शशिकांत शुक्ला ने कहा प्रभाव तो पूरे मानवजाति की तरह हम पर भी बहुत ज्यादा पडा है| हमारे बीच लगभग 85% ऐसे अधिवक्ता साथी है जोकि रोज़ कमाते है रोज़ खाते है| हमारी आमदनी पूरी तरह से बंद हो गई है, हम अपनी सामाजिक स्थिति से भी समझौता नहीं कर सकते है अतः हम अपने उसूलो से नीचे भी नहीं जा सकते और ऊपर उठने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं है| इस बात की मैं तारीफ करता हूँ की हमारे साथी एक दुसरे के सहयोग से पीछे नहीं हट रहे है| सरकार को भी चाहिए की जिन अधिवक्ताओं की रोज़ की कमाई बंद हो गई है उनके लिए कुछ जरूर करे| जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, मैं सबसे यही कहूँगा कि अपनी और अपनों की सेहत से समझौता न करे, बहुत जरूरी हो तो ही बहार निकले और मास्क का प्रयोग जरूर करे|

जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता, एडवोकेट आशु श्रीवास्तव ने बताया कि इस लहर में हमने अपने बहुत से साथियों को खो दिया जो संक्रमण की वजह से असमय काल कलवित हो गए| हमारे न्यायिक परिसर में पूरे जिले और बाहर से लोग आते है और संक्रमण के फैलाव की स्थिति में हमने अपने सारे कार्य बंद कर दिए और सबसे अपील की कि अपने अपने घरो देहातो में शांति से रहे और कोरोना के नियमो का अनुपालन करे| हम सब एक आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे है लेकिन अपने प्रोफेशन की मर्यादा हमें बचा के रखनी है और जैसे हमेशा समाज के काम आते है, वैसे इस समय भी हम अपने “रायबरेली फाउंडेशन” जिसमे जिले के लगभग 50 अधिवक्ता है, के तत्वाधान में जरूरत मंदों को ऑक्सीजन, निजी एम्बुलेंस, दवाइयां, खाने का सामान आदि मुहैय्या करा रहे है| लोगो और प्रशासन से मेरा यही कहना है कि लॉकडाउन में मिली ढील में भी पहले की तरह ही संयम से रहे और बहार न ही निकले| संक्रमण ख़त्म नहीं हुआ है बल्कि आपके घर में रहने की वजह से उसकी गति धीमी हुई है| मास्क जरूर पहने और अफवाहों पर ध्यान न देते हुए वैकसीन जरूर लगवाइए|

लालगंज से अधिवक्ता एवं जिला अध्यक्ष एडवोकेट एसोसिएशन सिविल कोर्ट रायबरेली, एडवोकेट देवेश शुक्ला ने अधिवक्ता की निजी स्थिति के दर्द को बयाँ करते हुए कहा की आम आदमी की तरह आम अधिवक्ता भी बहुत ज्यादा परेशान हो गया है| काम न चलने की वजह से आमदनी बिलकुल नहीं है और घर खर्च वही है, फीस, बिल रोज़मर्रा की जरूरते तो पूरी करनी ही है| सरकार को हम अधिवक्ताओ ले किये भी कुछ सोचना चाहिए था कि हम कैसे अपना जीवन यापन करे जब हाथ में कुछ आ ही नहीं रहा तो| अभी तक कोरोना की वजह से जितने भी साथियों ने जीवन त्यागा है, उनके लिए भी किसी प्रकार की सहयोग राशि सरकार ने नही दी है| हमने अलग से अपने लिए भी अलग से सुविधाओ की मांग की थी पर अधिवक्ताओ के लिए कुछ भी नहीं किया गया| समाज से यही बोलूँगा  कि सजग रहे, सामाजिक दूरी बनाये रखे और जब तक ख़तरा ख़त्म नहीं हो जाता सभी सावधानिया बरते|

जिला अध्यक्ष समाजवादी अधिवक्ता सभा रायबरेली, एडवोकेट गोविद सिंह चौहान ने कहा कि कचेहरी के लगातार खुलने पर ही हमारी जीविका चलती है, कोरोना की बंदी का असर सीधे हमारे जीवनयापन पर पड़ा है, जिले में लगभग 95% वकील ऐसे है जोकि सिर्फ अपनी वकालत पर निर्भर है और इस समय घर पर बैठ गए है| रोज़ कमाओ और रोज़ खाओ की स्थिति ख़त्म होने की वजह से जिनको भी समस्या हो रही है उसका समाधान हम वकील ही मिल कर रहे है चाहे सीमित मात्र में धन से चाहे गल्ला राशन से| हम बहार जा कर किसी से मदद भी नहीं मांग सकते है| हम लोगो के पास कोई मजबूत संसाधन नहीं है इसलिए हम समाज के अन्य वर्ग से भी अपील करते है की स्वय से सामने आये और जिस किसी का भी दुःख दर्द बाट सके, बांटे जरूर| जो लोग इस समय बहार निकल कर बेवजह घूम रहे है, मेरा आंकलन है लगभग 50% लोग प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे है, उनके मैंयही कहूँगा की छूट आपके आवश्यक कार्य को करने के लिए मिली है नाकि सैर सपाटे के लिए, इसलिए शांति पूर्वक घर में नियमो के अनुपालन करते हुए रहिये, ख़तरा अभी टला नहीं है|

डलमऊ से एडवोकेट अजीत श्रीवास्तव ने कहा कि सबकी तरह हमारी भी स्थिति ठीक नहीं है और घर की रोज़ी रोटी चलाना मुश्किल हो गया है| बंदी ने हमारा रोज़गार चौपट कर दिया है और अभी ये नहीं पता कि हमें कबसे अपने कार्य को करने दिया जायेगा| लोगो की भलाई के लिए हमने अपने न्यायिक परिसर के बंद होने में कोई भी असहमति नहीं व्यक्त की और अपने घर में बैठे है| हमारी आपसे यही कहना की अतिआवश्यक स्थिति में ही घर से निकले, कोरोना के प्रति सारी सावधानिया बरते, वैकसीन जरूर लगवाएं|

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