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केंद्रीय कृषि मंत्री ने बागवानी कलस्‍टर विकास कार्यक्रम का किया शुभारंभ

नयी दिल्ली, नवसत्ता : बागवानी क्षेत्र में व्यापक वृद्धि सुनिश्चित करने और किसानों को ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को बागवानी कलस्‍टर विकास कार्यक्रम (सी.डी.पी.) का शुभारंभ किया।
राष्‍ट्रीय बागवानी बोर्ड इसे कार्यान्वित करेगा। ऊंची कीमत वाली बागवानी फसलों का आयात कम करने और जहां कहीं संभव हो, निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से, कृषि मंत्रालय ने देश में विभिन्न फसलों के लिए 53 बागवानी कलस्टरों की पहचान की है। इन 53 कलस्टरों में से 12 कलस्टरों को कलस्‍टर विकास कार्यक्रम के इस प्रायोगिक चरण के लिए चुना गया है। पांच से सात वर्षों की अवधि में सभी 53 कलस्टरों में कार्यक्रम लागू किए जाने पर कुल निर्यात लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।
इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि सी.डी.पी. से 10 लाख किसानों सहित अन्य हितधारकों को लाभ होगा, वहीं 10 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा, जिसमें 6500 करोड़ रुपए निजी क्षेत्र से आएगा। सी.डी.पी. का लक्ष्य पहचान किए गए बागवानी कलस्‍टरों को बढ़ावा देना- विकास करना है, ताकि उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जा सके। इसके माध्यम से उत्‍पादन एवं फसल-कटाई उपरांत प्रबंधन, लॉजिस्टिक्‍स, विपणन व ब्रांडिंग सहित भारतीय बागवानी क्षेत्र से संबंधित सभी मुख्य मुद्दों का समाधान किया जाएगा।
श्री तोमर ने कहा कि भारत, विश्‍व में बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है और विश्‍व के फल-सब्जियों का लगभग 12 प्रतिशत उत्‍पादन करता है। उन्होंने विश्‍व बागवानी व्‍यापार में भारत की हिस्‍सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए विश्‍व की उत्‍तम पद्धतियां अपनाने की जरूरत है। इससे बागवानी क्षेत्र के घरेलू एवं वैश्विक बाजार में हिस्‍सेदारी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रारंभ से ही इस बात पर जोर रहा है कि खेती में संतुलन हो, किसान मुनाफे की खेती करें, कृषि उपज की गुणवत्ता बढ़े, नई-नई तकनीकों का पूरा उपयोग हो, छोटे किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित हों एवं दुनिया की कृषि संबंधी आवश्यकताओं में भारत बेहतर योगदान दें तथा निर्यात भी बढ़ सकें। प्रधानमंत्री की ही प्रेरणा से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय लगातार, एक के बाद एक ठोस कदम उठाकर सफलता के सोपान पर पहुंचने में लगा हुआ है। नई पीढ़ी खेती की ओर आकर्षित हो सके, इस दृष्टि से इस क्षेत्र को और मूल्यवान बनाना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद भारत में खाद्यान्न और बागवानी क्षेत्र में बहुत अच्छा उत्पादन हुआ है, ग्रीष्मकालीन बुवाई भी पिछली बार से 21 प्रतिशत अधिक हुई है। 80.46 लाख हेक्टेयर में गर्मी की फसल बोई गई है। किसान सब-कुछ करने को तत्पर है, वहीं सरकार उन्हें फसलोपरांत नुकसान से बचाने, प्रसंस्करण सुविधाएं देने, आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने, देश-विदेश में कृषि उपज की अच्छी कीमत पर बिक्री में सफलता दिलाने के लिए कृत संकल्पित है और बागवानी कलस्‍टर विकास कार्यक्रम भी इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
श्री तोमर ने कहा कि कोविड के दौरान कृषि क्षेत्र ने आपदा को अवसर में बदलते हुए खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की है। प्रधानमंत्री ने भी इसी बात पर बल दिया है। अब हमारी कार्यशैली में बदलाव आया है, लोगों को प्रकृति के ज्यादा करीब आने का अवसर मिला है और खान-पान में हर्बल एवं औषधीय फसलों का उपयोग बढ़ा है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने एवं बढ़ाने के लिए औषधीय फसल- हल्‍दी, तुलसी, अदरक, गिलोय, लौंग, काली मिर्च, दालचीनी आदि का उपयोग एवं मांग बढ़ी है। ऐसे में बागवानी क्षेत्र में अवसर और बढ़ गए हैं। औषधीय खेती हमारे देश की बड़ी ताकत है, जिसके हम बड़े उत्पादक भी है। कलस्‍टरों के माध्यम से हर्बल खेती की तरफ भी प्रवृत होंगे, जिससे घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के साथ ही निर्यात में भी योगदान होगा, किसानों की आय बढ़ेगी।
कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने भी संबोधित किया। कृषि मंत्रालय के अपर सचिव डा. अभिलाक्ष लिखी, संयुक्त सचिव-बोर्ड के एमडी राजबीर सिंह, एपीडा एवं कलस्‍टर राज्‍यों के वरिष्‍ठ अधिकारियों एवं राज्‍य बागवानी मिशनों के अधिकारी भी शामिल हुए।
प्रायोगिक चरण के कलस्‍टरों में सेब के लिए शोपियां (जम्‍मू कश्‍मीर) और किन्‍नौर (हिमाचल प्रदेश), आम के लिए लखनऊ (उत्‍तर प्रदेश), कच्‍छ (गुजरात) एवं महबूबनगर (तेलंगाना), केला के लिए अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) एवं थेनी (तमिलनाडु), अंगूरों के लिए नासिक (महाराष्‍ट्र), अनानास के लिए सिफाहीजाला (त्रिपुरा), अनार के लिए शोलापुर (महाराष्‍ट्र) एवं चित्रदुर्ग (कर्नाटक) और हल्‍दी के लिए वेस्‍ट जयंतिया हिल्‍स (मेघालय) को शामिल किया गया है। इन्हें कलस्‍टर विकास एजेंसियों (सीडीए) के माध्‍यम से कार्यान्वित किया जाएगा, जिन्‍हें संबंधित राज्‍य सरकार की सिफारिशों पर नियुक्‍त किया गया है।
इस कार्यक्रम के लिए सरकार की अन्‍य योजनाओं जैसे कृषि अवसंरचना निधि जो कि फसल-कटाई उपरांत प्रबंधन अवसंरचना और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्‍यम-दीर्घावधि की वित्‍तपोषण सुविधा है, का भी लाभ लिया जा सकता है। इस कार्यक्रम को मंत्रालय की केंद्रीय क्षेत्र की योजना “10,000 किसान उत्‍पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) को तैयार करना और बढ़ावा देना’’ का भी लाभ मिलेगा। कलस्‍टर विकास कार्यक्रम के माध्यम से बागवानी उत्‍पादों के कुशलतापूर्वक एवं समयानुसार निकासी व परिवहन के लिए मल्‍टीमाडल परिवहन के प्रयोग के साथ आखिरी सिरे तक संपर्क स्‍थापित करते हुए इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करते हुए सम्‍पूर्ण बागवानी पारितंत्र (इकोसिस्‍टम) को बदलने का भी उद्देश्य है। यह कार्यक्रम भौगोलिक विशेषता का लाभ उठाने और बागवानी कलस्‍टरों के एकीकृत तथा बाजार की मांग अनुसार बागवानी को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।

With Input : UNI

Posted By : Ruchi Mishra

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