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भाई का इस्तीफा दिला क्या बच पायेंगे बेसिक शिक्षा मंत्री?

आम आदमी पार्टी की मांग बर्खास्त हों मंत्री,लोकायुक्त से होगी शिकायत

लखनऊ,नवसत्ताः प्रदेश में गलत प्रमाणपत्र के जरिये नौकरी में आये बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी ने आज असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया है। अरुण द्विवेदी को ईडब्लूएस कोटे के तहत ये नियुक्ति मिली थी, जिसका प्रमाणपत्र साल 2019 में बनवाया गया था। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति को भेजे गए अपने इस्तीफे में अरुण ने निजी कारणों का हवाला दिया था। हालांकि अब बड़ा सवाल यह है कि क्या भाई का इस्तीफा दिला देने भर से बेसिक शिक्षा मंत्री बच जाएंगे। फिलहाल सूबे के विपक्षी दल इस मुद्दे पर मंत्री को राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं।

आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि फर्जीवाड़ा कर ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट से भाई को असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी दिलाने वाले बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी को तत्काल बर्खास्त करना चाहिये।
उन्होने कहा कि इस्तीफा फर्जीवाड़ा करने वाले का होना चाहिए, इस्तीफा जिनके प्रभाव से गरीब कोटे में अपने भाई को नौकरी दिलाई गई उनका होना चाहिए, लेकिन आज जब पकड़ी गई चोरी तो मंत्री के भाई का इस्तीफा करवा दिया गया। उनको एक मिनट भी इस पद पर रहने का हक नहीं है। उनको इस्तीफा देना चाहिए।

आप सांसद ने कहा कि श्री द्विवेदी ने 2017 में मंत्री बनने के बाद तमाम अनाप-शनाप जमीन खरीद के अकूत संपत्ति बनाई। मुख्यमंत्री बतायें कि उन्होने भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे ऐसे मंत्री को कैसे अपनी सरकार में रखा हुआ है। क्या यह आपकी ईमानदार सरकार है। बीटीसी के अभ्यर्थी नौकरी मांगने आएं तो उन्हें लाठियों से पीटा जाएगा। शिक्षामित्रों ने नौकरी मांगी तो उन्हें लाठियों से पीटा गया, ग्राम विकास अधिकारी की नौकरी के लिए आए नौजवानों के साथ भी ऐसा ही हुआ।

पुलिस भर्ती के नौजवान है तो उन्हें भी खूब पीट-पीटकर लहूलुहान किया गया और मंत्री के भाई को फर्जी ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट पर नौकरी दे दी जा रही है। उन्होने कहा कि जफर अली की सात करोड़ की जमीन बेसिक शिक्षा मंत्री ने मात्र 20 लाख में खरीदी। इनकम टैक्स वाले चाहे तो आज बेसिक शिक्षा मंत्री का छापा मारकर गिरफ्तारी करा सकते हैं। मां के नाम पर मंत्री द्वारा महज 15 लाख रुपए में इतनी ही कीमत की जमीन खरीद सहित अन्य प्रमाण मीडिया के सामने रखते हुए संजय सिंह ने शीघ्र उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त से मिलकर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री सतीश द्विवेदी के भ्रष्टाचार की शिकायत करने की बात कही।

इस बीच बेसिक शिक्षा मंत्री की ओर से डैमेज कंट्रोल की कवायद जारी है। आज इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मंत्री के भाई अरूण ने कहा कि उनकी योग्यताओं के आधार पर उन्हें शॉर्टलिस्ट किया गया था और आवेदन से साक्षात्कार की प्रक्रिया उन्होंने खुद ही पूरी की थी लेकिन इसके बावजूद उनके भाई जो राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री हैं उनपर अपमानजनक और बेबुनियाद आरोप लगे।

मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे कारण मेरे ईमानदार, कर्मठ और स्वच्छ राजनीतिक छवि वाले बड़े भाई के ऊपर कोई बेबुनियाद आरोप लगे। ये सब मेरे लिए असहनीय है, मैं मानसिक संत्रास की स्थिति से गुजर रहा हूं।, मेरे लिए मेरे परिवार और बड़े भाई के सामाजिक-राजनीतिक सम्मान से ज्यादा अहमियत और किसी भी चीज की नहीं है। इस महत्वपूर्ण पद की भी नहीं।

ईडब्लूएस कोटे को लेकर अरुण द्विवेदी कहते हैं कि नवंबर 2019 में आवेदन के समय अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक उन्होंने यह सर्टिफिकेट बनवाया था।

हालांकि यह सर्टिफिकेट ही उनकी गले की फांस बन गया। दरअसल बेसिक शिक्षा सतीश चंद्र द्विवेदी के परिवार में चार भाई एवं मां हैं ,उनके पिता का देहान्त हो चुका है। सभी भाई शादीशुदा हैं और सभी की पत्नियां सरकारी नौकरी में हैं। मन्त्री की मां के नाम गांव में 36 बीघा जमीन है एवं गांव में आलीशान मकान है । उनके विधायक बनने के बाद सिद्धार्थनगर जनपद में परिवार द्वारा करोड़ों रुपए की जमीन खरीदी गई।

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