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इटावा: मुक्तिधाम मे दिनरात सेवारत चंद्रशेखर है असल कोरोना योद्धा

इटावा , 16 मई (वार्ता) उत्तर प्रदेश के इटावा मे यमुना नदी के किनारे स्थापित मुक्तिधाम के प्रभारी चंद्रशेखर कोरोना काल मे असल कोरोना योद्धा बन गये है, बिना किसी लालच के 24 घंटे शमशान घाट पर रह कर अंतिम संस्कार कराने मे जुटे हुए है ।

इटावा शहर के लालपुरा के मूल निवासी चंद्रशेखर यूं तो पिछले छह सालों में 15 हजार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार करा चुके है लेकिन कोरोना के कठिन समय में उनकी व्यस्तता और बढ़ गयी है और वे कोविड संक्रमितो का अंतिम संस्कार करा रहे है।

अंतिम संस्कार मे चंद्रशेखर की भूमिका बेहद अहम इसलिए बन पडती है क्योंकि शमशान घाट पर आने वाले हर शव का अंतिम संस्कार मे वह खुले दिल से मदद करते है । चंद्रशेखर शमशान घाट पर प्रतिदिन होने वाले अंतिम संस्कार का लेखा जोखा बना कर के रखते है। यह क्रम आज से पिछले छह सालो से बदस्तूर चला आ रहा है । प्रतिदिन कितने अंतिम संस्कार किये गये है । कहां कहां के हुए है । उनके मोबाइल नंबर के अलावा पता तक पूरी तरह से सुरक्षित रखे जाते है ताकि नगर पालिका परिषद की ओर से प्रमाण पत्र को निर्गत करने मे कोई कठिनाई नही आये ।

यमुना नदी किनारे श्मशान घाट को मुक्तिधाम नाम वर्ष 2013 में मिला था तब अंत्येष्टि के लिए 11 चबूतरों के निर्माण के साथ ही शव यात्रियों की सुविधा के लिए चार एयरकंडीशनर युक्त हाल, बरामदा, पार्क आदि का निर्माण नगर पालिका परिषद द्वारा कराया गया था।

चंद्रशेखर बताते है कि इन दिनो इतने अधिक शव आ रहे है कि उन्हे अपनो से मिलने की भी फुर्सत नही मिल पा रही है । टेलीफोन पर ही बात करनी पडती है । सुबह से शाम तक लगातार शव आने से हाथ नहीं थम रहे हैं। सारा समय अंत्येष्टि कराने और लाॅकर में अस्थि कलश रखने की व्यवस्था में जा रहा है। कोशिश रहती है कि शव यात्रियों को अंत्येष्टि के लिए इंतजार न करना पड़े। दीगर तौर पर कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अंत्येष्टि में अब चंद लोग ही जुटते हैं। अंत्येष्टि के बाद अस्थि कलश लॉकर में रखने की जिम्मेदारी बखूबी निभानी पड़ती है।

मुक्तिधाम पर अस्थि कलश रखने के लिए 36 लाॅकर की व्यवस्था है । चुनावी वादा बनकर रह गया विद्युत शवदाह गृह कोविड महामारी के दौर में विद्युत शव दाहगृह की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है ।

समाजवादी पार्टी के नेता और इटावा नगर पालिका परिषद के पूर्व चैयरमैन कुलदीप गुप्ता ने जब श्मशान घाट का जीर्णोद्धार करते हुए मुक्तिधाम का निर्माण कराया था, तब यह नहीं सोचा था कि ऐसा भी भयावह दौर आएगा जब अंत्येष्टि के लिए 11 चबूतरे भी कम पड़ जाएंगे ।

चंद्रशेखर की भूमिका को लेकर इंडियन रेडक्राॅस सोसायटी के चैयरमैन के.के.सक्सैना का कहना है कि चंद्रशेखर की अंतिम संस्कार मे बेहद महत्वपूर्ण बन गई है । जब कभी भी शव के अंतिम संस्कार के बाद सुबह फूल एकजुट हो चंद्रशेखर के योगदान कोई भूल नही सकता है । चंद्रशेखर की जितनी भी तारीफ की जाये वो कम ही होगी ।

समाज उत्थान समिति के अध्यक्ष हरीशंकर पटेल का कहना है कि चंद्रशेखर विपरीत और विषम परिस्थिति के बाद चंद्रशेखर के योगदान को किसी भी सूरत मे भुलाया नही जा सकता है । जहाॅ पर कोई मदद को आगे नही आता है वहा पर केवल चंद्रशेखर ही एक मात्र मददगार भूमिका मे दिखाई देता है । जिन परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार करके जाते है वो चंद्रशेखर के योगदान को हमेशा याद करते है ।

with Input : UNI
Posted by : Garima

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