लखनऊ,नवसत्ता: इस समय सोशल मीडिया पर ऑडियो वीडियो और क्लिपिंग के द्वारा 5G स्पेक्ट्रम से कोरोनावायरस फैलने की खबर तेजी से वायरल हो रही है। इस खबर से लोग काफी भयग्रस्त नजर आ रहे हैं। फैक्ट चेक में यह दावा झूठा साबित हुआ है। एक्सपर्ट की सलाह है कि सभी को दुष्प्रचार से बचते हुए पूरी तरह से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।
कुछ दिनों से सोशल मीडिया और लोगों के बीच एक अफवाह काफी जोर पकड़ी रही है कि कोरोना वायरस का संक्रमण 5G टावर की टेस्टिंग का दुष्परिणाम है, अर्थात 5G टावर की टेस्टिंग की वजह से कोरोना वायरस इतनी तेजी से फैल रहा है। सरकारी एजेंसी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की जांच में ये दावा फर्जी साबित हुआ ।
एक ऑडियो मैसेज में दावा किया जा रहा है कि राज्यों में 5g नेटवर्क की टेस्टिंग की जा रही है जिस कारण लोगों की मृत्यु हो रही है व इसे #Covid19 का नाम दिया जा रहा है। #PIBFactCheck: यह दावा #फ़र्ज़ी है। कृपया ऐसे फ़र्ज़ी संदेश साझा कर के भ्रम न फैलाएँ। pic.twitter.com/JZA9o5TuRv
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) May 6, 2021
कुछ समय पहले वैज्ञानिकों ने भी इस तरह के दावों की निंदा की थी और झूठा बताया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 और 5G तकनीक के बीच संबंधों की बात बकवास है और यह जैविक रूप से संभव नहीं है।
5G रेडिएशन का पक्षियों पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है। उनके रीप्रोडक्टिव सिस्टम और इम्यून सिस्टम पर रेडिएशन के कुछ इंडायरेक्ट इफेक्ट देखे जा सकते हैं। हालांकि, अब तक इस संबंध में कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आए हैं।
नीदरलैंड्स हेल्थ काउंसिल के चेयरमैन डॉ एरिक वैन रॉन्गेन के मुताबिक, इलेक्ट्रॉमेग्नेटिक फील्ड के प्रभाव से पक्षियों की मौत तभी हो सकती है, जब इसका लेवल बहुत हाई हो और इससे काफी गर्मी पैदा हो। मोबाइल टेलीकॉम एंटीना से ऐसा नहीं होता। दुनिया में ऐसे लाखों एंटीना हैं, लेकिन अब तक पक्षियों के मरने का कोई मामला सामने नहीं आया। 5G स्पेक्ट्रम के संपर्क में आने से पक्षियों की मौत की संभावना नहीं है और न ही इसका कोविड के प्रसार से कोई लेना देना है।
अपने नजदीकी मोबाइल टावर का EMF/रेडिशन जांचने के लिए https://tarangsanchar.gov.in लिंक पर सुविधा उपलब्ध है। यदि आप चाहे तो लगभग 4000/- रुपये का सरकारी शुल्क जमा कर टावर का EMF जांच करने हेतु टीम भी बुला सकते है।