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पंचायत चुनाव रिजल्ट भाजपा के लिए डराने वाले तो हैं,लेकिन विपक्ष भी तो बिखरा हुआ है

 अयोध्या,काशी,मथुरा में भी पिछड़ी भाजपा

एस एच अख्तर
लखनऊ,नवसत्ता :उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले हुए पंचायत इलेक्शन के रिजल्ट बहुत कुछ कहते हैं। सत्ताधारी भाजपा के लिए जहां ज़िला पंचायत सदस्यों की गिरती संख्या डराने वाली है वहीं विपक्ष भी बिखरा हुआ नजर आ रहा है।
काशी,अयोध्या मथुरा में अगर भाजपा की सीटें कम हैं तो विपक्ष में भी अकेले अपने दम पर जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की हैसियत में कोई नहीं। अगर ज़िला पंचायत में मिली सीटों को 2022 के लिए लिटमस टेस्ट माना जाए तो भाजपा की ही स्थिति इस मायनों में मज़बूत है कि विपक्ष में वोटों का बंटवारा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बात करें तो यहां 40 सीटों पर भाजपा को 8 सीटें मिलने की बात कही जा रही है जबकि सपा का दावा है कि उसने 14 सीटें हासिल की हैं।यहां बसपा ने भी 5 सीटों पर जीत दर्ज कराई है लेकिन अपना दाल (एस) भी 3 सीटों पर है जो भाजपा की सहयोगी पार्टी है। वहीं आम आदमी पार्टी और सुभासपा को 1-1 सीटें मिली हैं। जबकि 3 निर्दलीय कैंडिडेट को जीत मिली है।
इसी तरह कान्हा की नगरी मथुरा में भी वैसे तो बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यहां मायावती की बीएसपी ने 12 और चौधरी अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल ने 9 सीटों पर परचम लहराया है। बीजेपी की झोली में 8 सीटें आईं। वहीं सपा ने एक सीट मात्र से अपना खाता ही खोला। कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका और 3 निर्दलीय प्रत्याशी जीत गए। इस बेल्ट के किसानों ने भी कृषि आंदोलन के विरोध में प्रदर्शन किया था।
भाजपा के एजेंडे में शामिल रहे अयोध्या में ज़रूर सपा ने अपने बल पर जिला पंचायत अध्यक्ष बना लेने की ज़मीन तैयार कर ली है और भाजपा यहां चारो खाने चित्त हुई है । जिले की 40 जिला पंचायत सीटों में से 24 पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की है। बीजेपी के खाते में महज 6 सीटें ही आईं। बाकी पर निर्दलियों ने कब्जा जमाया। जनपद में करीब एक दर्जन बीजेपी नेताओं ने टिकट ना मिलने की वजह से बगावत कर दिया था।
गोरखपुर में सपा और भाजपा दोनों 19-19 सीटों का दावा कर रहे हैं।
इसके अलावा अगर झांसी, जालौन,उधर बागपत शामली वगैरह के रिजल्ट देखें तो भाजपा ने अपनी बढ़त बनाये रखी है जबकि बची हुई सीटों पर सभी पार्टियां और निर्दलीय हैं।
हालांकि सपा फिलहाल आये पंचायत चुनाव से उत्साहित है।सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने तो यहां तक कहा कि ‘जिस प्रकार अधिकारी पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को छोड़कर बाकियों को जीत का सर्टिफिकेट देने में आना कानी कर लोकतंत्र की गरिमा को तार-तार रहे हैं वो अधिकारी याद रखें, सत्ता परिवर्तन इनके सर्टिफिकेट की मोहताज नहीं, 2022 में इनका भी इलाज किया जाएगा, छूटेगा कोई नहीं.’।
यह सच है कि काशी मथुरा और अयोध्या भाजपा को नुकसान हुआ है लेकिन अयोध्या छोड़ दें अकेले सपा भी बहुत मजबूत नहीं है।ऐसी स्थिति में पंचायत चुनाव को ही लिटमस टेस्ट मानें तो विधानसभा के दंगल में भाजपा के सामने बिखरा हुआ विपक्ष ही है।

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