त्वरित टिप्पणी-एस एच अख़्तर
लखनऊ,नवसत्ता:पश्चिम बंगाल में भाजपा की मौजूदा स्थिती एग्जिट पोल आंकड़ों के आसपास ही है।मोदी जैसा प्रखर वक्ता,उनकी छवि और चुनावों के चाणक्य कहलाये जाने वाले अमित शाह भी बंगाल की हवा अपने पक्ष में नहीं कर पाए।ममता बनर्जी के साथ ऐंटी इनकंबेंसी का भी माइनस पहलू था लेकिन भाजपा उसे भी नहीं भुना पाई।
भाजपा के पक्ष में सभी फैक्टर होने के बावजूद उसकी हर का कारण नेगेटिव कैंपेंन को माना जा रहा है।खास तौर पर वोटरों को दीदी ओ दीदी का सम्बोधन अखर गया।उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग़ निवासी स्वप्न दास गुप्त कहते हैं,अब मेरा पूरा परिवार यहीं का वोटर है।हम लोग देश प्रदेश में भाजपा की कार्यशैली से भी प्रभावित हैं और उसे ही वोट भी करते आये हैं।बंगाल में हमारे सारे रिश्तेदारों ने भी भाजपा को ही वोट देने का मन भी बनाया था,लेकिन रैलियों में दीदी के लगातार अपमानजनक संबोधन ने उन लोगों का विचार बदल दिया।वह कहते हैं, हमारे एक रिश्तेदार ने कहा भी कि मोदी जी के मुहं से यह संबोधन बुरा नहीं लगता।वह बड़े हैं, देश के प्रधानमंत्री हैं।लेकिन जब छोटे मोटे नेताओं ने भी मंच से दीदी ओ दीदी कहना शुरू किया तो अच्छा नहीं लगा।
आलमबाग़ के रहने वाले बंगाल मूल के चिकित्सक कहते हैं,हम लोगों ने लंबे समय तक लेफ्ट को बनाये रखा।लगातार जीत से जब वह निरंकुश होने लगे तो उखाड़ फेंका।आज की तारीख में वही सारे लेफ्ट वाले भाजपा में नज़र आते हैं।उनकी भाषा भी वही पुरानी लेफ्ट वाली है।ऐसे में पैकिंग बदल कर पुराना माल फिर से खरीदना ठीक न मान कर हम लोगों ने दीदी में ही भरोसा जताया है।
चौकीदार चोर है के नारे ने 2019 में जिस तरह भाजपा के लिए संजीवनी का काम किया था,कहना उचित होगा कि बंगाल में दीदी ओ दीदी का सम्बोधन भाजपा को खा गया।