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गैर भाजपा दलों के स्वाभाविक नेता के तौर पर उभरीं ममता बनर्जी

नीरज श्रीवास्तव

लखनऊ,नवसत्ताः भारतीय जनता पार्टी के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को बंगाल में बांधकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब आने वाले समय में तीसरे मोर्चे के नेता के मजबूत दावेदार के तौर पर उभरेंगी। बंगाल में आज की उनकी धमाकेदार जीत से यह भी स्पष्ट हो गया है कि गैर भाजपा दलों को यदि केन्द्र से मोदी सरकार को हटाना है तो उनको ममता बनर्जी के पीछे आना होगा।
बंगाल का चुनाव भाजपा ने जिस तरह राष्ट्रीय स्तर पर जाकर लड़ा वैसा चुनाव इससे पहले किसी राज्य में नहीं लड़ा गया। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह और उनके मंत्रिमण्डल के तमाम सदस्यों ने जिस तरह चुनाव प्रचार किया उससे साफ था कि यह चुनाव भाजपा के लिए कितना महत्वपूर्ण था।
इतनी बड़े हमले के लिए शुरूआती तौर पर ममता बनर्जी भी तैयार नहीं थी यही कारण है कि प्रथम चरण मतदान के बाद उन्होने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई नेताओं को चिठ्ठी लिखकर आग्रह किया था कि वे लोग भाजपा को परास्त करने के लिए एक मंच पर आयें परन्तु उस समय इन नेताओं की चिठ्ठी का कोई जवाब नहीं दिया।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विशेषज्ञ रतन मणि लाल कहते हैं कि आज ममता बनर्जी ने धमाकेदार जीत दर्ज कर साफ कर दिया है कि अब उन्हें किसी दल के सहारे की जरूरत नहीं है। वे भाजपा को चुनौती देने वाली स्वाभाविक नेता के तौर पर उभरीं हैं। ऐसे में अगर आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व कोई मोर्चा बनता है तो गैर भाजपा दलों को अब उनकी पार्टी के पीछे ही आना होगा।
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ऐसा एक प्रयास कर चुकीं हैं। पिछले लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्होंने जनवरी 2019 में कोलकाता में 22 दलों के साथ मेगा रैली की थी।

इस रैली में एक दर्जन से अधिक विपक्षी दलों के नेता एक मंच पर नजर आए थे और उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की हुंकार भरी थी। इन नेताओं ने अपनी पार्टियों के बीच के मतभेद को दरकिनार करने का आह्वान करते हुए कहा था कि वे चुनावों के बाद प्रधानमंत्री पद के मुद्दे पर फैसला कर सकते हैं। हालांकि नेताओं के अहम के टकराव के कारण ममता बनर्जी की यह कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी थी। आज स्थितियां बदल गईं हैं।


पूरा देश बंगाल चुनाव में एक तरफ अकेले ममता बनर्जी और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विशाल सेना के बीच हुए यु़द्ध का साक्षी रहा है। आज के परिणामों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे भाजपा के देश विजय के अभियान को रोक सकतीं हैं। इसी के साथ यह देखना भी दिलचस्प होगा फरवरी-मार्च 2022 में पांच राज्यों के जो चुनाव होने हैं उनमें ममता की पार्टी की क्या भूमिका होगी।
इसमें देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश भी शामिल है। उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा के चुनाव होंने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के अलावा चार राज्यों में अभी तक कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता आया है। इन पांच सूबों के चुनाव के छह-सात महीने बाद ही नवंबर-दिसंबर 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव कराए जाएंगे।

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