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मोदी ने नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने के काम की समीक्षा की

नयी दिल्ली, नवसत्ता : सरकार कोरोना महामारी का प्रकोप बढने के कारण मेडिकल आक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने की व्यवहार्यता का पता लगा रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने के काम में प्रगति की रविवार को यहां वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से बैठक कर समीक्षा की।
बैठक में यह जानकारी दी गयी कि ऐसे विभिन्न संभावित उद्योगों की पहचान की गई है जिनमें मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित किया जा सकता है।
मौजूदा प्रेशर स्विंग एड्सॉर्प्शन (पीएसए) नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित करने की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की गई। नाइट्रोजन संयंत्रों में कार्बन मॉलिक्यूलर सीव (सीएमएस) का उपयोग किया जाता है जबकि ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए ज़ियोलाइट मॉलीक्युलर सीव (ज़ेडएमएस) की आवश्यकता होती है। इसलिए, सीएमएस को ज़ेडएमएस के साथ बदलकर और कुछ अन्य परिवर्तनों जैसे ऑक्सीजन एनालाइज़र, कंट्रोल पैनल प्रणाली, प्रवाह वाल्व आदि के साथ मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों में ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित किया जा सकता है।
उद्योगों के साथ विचार-विमर्श के बाद अब तक 14 उद्योगों की पहचान की गई है, जहां नाइट्रोजन संयंत्रों के रूपांतरण का काम प्रगति पर है। इसके अलावा, उद्योग संघों की मदद से 37 नाइट्रोजन संयंत्रों की इस कार्य के लिए पहचान की गई है।
ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए संशोधित नाइट्रोजन संयंत्र को या तो पास के अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है, और अगर इस संयंत्र को स्थानांतरित करना संभव नहीं है, तो इसका उपयोग ऑक्सीजन के ऑन-साइट उत्पादन के लिए किया जा सकता है, जिसे विशेष पोत तथा सिलेंडर से अस्पताल में पहुंचायी जा सकती है।
बैठक में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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