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कुंभ में संभावित आपदा प्रबन्धन को लेकर बैठक

हरिद्वार 05 अप्रैल राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एनडीएमए) के वरिष्ठ सलाहकार मेजर जनरल दत्ता ने सोमवार को भल्ला स्टेडियम, मायापुर में कुम्भ मेला-2021 के तहत आपदा प्रबन्धन के मद्देनजर टेबिल टाॅप एक्सरसाइज की।
इस मौके पर मेजर जनरल दत्ता ने माॅक एक्सरसाइज के सम्बन्ध में बताया कि हम किसी आपदा से कैसे निपटेंगे। कोई घटना घटती है तो किस अधिकारी की क्या जिम्मेदारी है, उसकी क्या भूमिका है, इसकी स्थिति स्पष्ट हो जाती है तथा आपदा प्रबन्धन में असमंजस की स्थिति दूर हो जाती है। उन्होंने कहा कि हमें महाकुम्भ की एसओपी की पूरी जानकारी होनी चाहिये।
मेजर जनरल दत्ता ने कहा कि महाकुम्भ मेला बहुत बड़ा आयोजन है। मास्क गैदरिंग और क्राउड कण्ट्रोल इसका हिस्सा है। एक समय में लाखों लोग एक जगह पर इकट्ठा होते हैं, ऐसे में कोई भी घटना घट सकती है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन एक टीम वर्क है, जितनी भी एजेंसियां हैं, वे सभी हमारी टीम के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई घटना घटती है तो सीक्वेंस ऑफ इमरजेंसी-स्टैप-1, स्टैप-2 आदि की प्रक्रिया होती है। इसकी जानकारी सभी को होनी चाहिये।
वरिष्ठ सलाहकार ने बताया कि हमारे पास काम करने के क्या-क्या साधन है तथा कहां पर क्या कमी है, इसकी भी जानकारी हमें होनी चाहिये। उन्होंने विभिन्न घटनाओं-भगदड़, पानी में डूबना, रोड एक्सीडेंट, आग लगने की घटना, विस्फोट, भूकम्प, आतंकी घटना आदि का जिक्र करते हुये किस परिस्थिति में हमें क्या निर्णय लेना है इसके सम्बन्ध में जानकारी दी।
मेजर जनरल दत्ता ने पूर्व में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुये कहा कि ऐसी घटनाओं से भी सबक लेने की आवश्यकता होती है। हमारे पास पूरे सेक्टर का नक्शा होना चाहिये तथा उस क्षेत्र की पूरी जानकारी हमें होनी चाहिये। होल्डिंग एरिया के सम्बन्ध में बताते हुये उन्होंने कहा कि रेल, बस तथा रोड से जो भी लोग आयें, उन्हें पहले होल्डिंग एरिया में ठहराया जाये तथा आकस्मिक होल्डिंग एरिया भी चिह्नित होने चाहिये। आपस में हर हमेशा संवाद की स्थिति बनी रहनी चाहिये तथा आपसी तालमेल बहुत अच्छा होना चाहिये। मिनट-टू-मिनट फीडबैक मिलना चाहिये।
कण्ट्रोल रूम का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि कण्ट्रोल रूम की जो भी ड्यूटी होती है, वह काफी जिम्मेदारी की होती है। उन्होंने कहा कि हमें पूरे रूट की जानकारी होनी चाहिये। आकस्मिकता की स्थिति के लिये वाहनों के निकलने का रास्ता पहले से ही प्लान होना चाहिये। मेडिकल टीम सेक्टर मजिस्ट्रेट के पास अवश्य होनी चाहिये। प्रत्येक सेक्टर अधिकारी के पास वायरलेस की सुविधा होनी चाहिये। प्रत्येक क्षेत्र में सीसीटीवी फंक्शन में होने चाहिये। विपरीत परिस्थितियों में हेलीकाप्टर की सुविधा होनी चाहिये। नियमों आदि की जानकारी के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिये ताकि जो श्रद्धालु बाहर से आते हैं, उन्हें क्या करना है, क्या नहीं करना है, की जानकारी रहे। कहां तम्बू लगे हैं और कहां पर पुल हैं आदि की भी जानकारी होनी चाहिये। उन्होंने बताया कि जो फोर्स बाहर से आती है, उनके साथ एक पुलिस का लाइजनिंग अधिकारी अवश्य होना चाहिये। उन्होंने कहा कि अरली वार्निंग सिस्टम भी काफी मजबूत होना चाहिये ताकि समय से पूर्व जनता को सूचना दी जा सके। रिस्पांस का सिस्टम भी मजबूत होना चाहिये। मीडिया मैंनेजमेंट भी ऐसे समय में बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक घटना के साथ दूसरी घटना भी जुड़ेगी, उसकी भी प्लानिंग होनी चाहिये।
इस अवसर पर मेलाधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी सी रविशंकर, पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुम्भ मेला जनमेजय खण्डूरी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस, अपर मेला अधिकारी डा. ललित नारायण मिश्र, एडीएम के के मिश्रा सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी भी उपस्थित थे।

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