संवाददाता : पंकज
रायबरेली नगर पालिका परिषद वार्ड नंबर 17 में बूढ़े बाबा मंदिर के निकट रतापुर में एक ऐसा दलित परिवार रहता है जिसे देख सुनकर हर इंसान की रूह कांप उठेगी सिवाय सरकारी तंत्र को छोड़कर। रंपता गौतम (60 वर्ष) जिसके पास घर के नाम पर कुछ भी नहीं है। दिवाल घास फूस की बनी और पुराने कपड़ों से ढकी हैं। छत के नाम पर महज पॉलिथीन वो भी फटी पुरानी पड़ी हुई है। घर में शौचालय भी नहीं है। यह सरकारी दावे इस परिवार को मुंह चिढ़ाते हैं। 24 वर्षीय लड़का लवकुश दोनों आंखों से अंधा है,जिसे शौच के लिए मां रम्पता हाथ पकड़कर गांव से बाहर ले जाती है। पति राजेश (62 वर्ष) के गले में कैंसर अंतिम स्टेज पर है। कहीं से किसी प्रकार की सहायता ना होने के कारण कैंसर पक कर गले से बह रहा है। राजेश कई दिनों से अन्न जल छोड़ चुके हैं, या यूं कहूं कि अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा में हैं। वार्ड नंबर 17 रतापुर की रहने वाली रम्पता पर इस समय मानो मुसीबतों का पहाड़ टूटा हुआ है। जहां सरकार, विकास और गरीब से गरीब की मदद करने की दावे व आंकड़े प्रस्तुत करती हैं, वहीं रंपता की वर्तमान स्थिति सरकार के वादों और आंकड़ों को झूठा साबित करने के लिए समर्थ है।
वर्तमान सभासद से कई बार इस आशय से रंपता ने आग्रह भी किया परंतु असहाय व निर्बल होने के कारण आवाज अनसुनी कर दी गई। जबकि इसी वार्ड में यदि वास्तविकता से भौतिक सत्यापन करा लिया जाए तो कई ऐसे अनगिनत अपात्र लोगों को शौचालय, प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला है। सरकार दावे और वादे चाहे लाख कर ले, परंतु इस गरीब परिवार को सुनने वाला आज भी कोई नहीं है। यहां तक किसी भी प्रकार की पेंशन या सरकारी अनुदान रंपता के परिवार को प्राप्त नहीं हुआ है।
वार्ड के सभासद अमर चौधरी का कहना है कि कॉलोनी के लिए इसका आवेदन करा दिया गया है संभवत इस 1 महीने के अंदर इसका धनराशि स्वीकृत हो जाएगी और कॉलोनी बनने के लिए इसके खाते में आ जाएगी