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धूमधाम से मनाई गई गौरांग महाप्रभु की जयंती,गौर पूर्णिमा महामहोत्सव के रूप में मनाई गई जयंती

फूल बंगला, छप्पन भोग, झूलन, पालकी उत्सव, महाभिषेक एवं फूलों की होली रही आकर्षण का केन्द्र

नवसत्ता,वृंदावन:भगवान श्रीकृष्ण के प्रेमावतार श्री गौरांग महाप्रभु के जन्म दिवस को समस्त विश्व के गौड़ीय वैष्णव नव वर्ष के रूप में अत्यंत भव्यता से मनाते हैं। इसी क्रम में भक्ति वेदांत स्वामी मार्ग स्थित वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर में गौरांग महाप्रभु की 534वीं जयंती को “गौर पूर्णिमा महामहोत्सव“ के रूप में हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान मंदिर में फूल बंगला, छप्पन भोग, झूलन उत्सव, पालकी उत्सव एवं महाभिषेक का आयोजन किया गया।
उत्सव के दौरान भक्तों को सम्बोधित करते हुए चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष श्री चंचलापति दास ने कहा कि कलिकाल में चैतन्य महाप्रभु द्वारा वैष्णव भक्तों के लिए प्रदत्त भक्ति सिद्धांत सर्वाधिक सरल एवं सहज रूप में धारण करने योग्य है। उन्होंने कहा कि चैतन्य महाप्रभु ने हमें महामंत्र का जप, हरीनाम संकीर्तन, संकीर्तन के दौरान नृत्य करना, खाद्य वस्तु को भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित करके पाना ही कृष्ण भक्ति है। उन्होंने कहा कि ष्परम् विजयते श्रीकृष्ण संकीर्तनष् गौर पूर्णिमा का मूल उद्देश्य है। श्री चैतन्य महाप्रभु के गौर वर्ण होने के कारण उन्हंे गौरांग नाम से संबोधित किया जाता रहा है। श्री गौरांग महाप्रभु, कृष्ण के छिन्न अवतार कलयुग में अवतरित हुए। आज वही शुभ दिन फाल्गुन पूर्णिमासी का तिथी है, जब गौर पूर्णिमा उत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने अपने वक्तव्य को पूर्ण करते हुए कहा कि चैतन्य महाप्रभु ने हरे कृष्ण महामंत्र के माध्यम से कृष्ण प्रेम प्राप्ती का रास्ता दिखया।

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