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स्वास्थ्य

बाइपोलर डिसॉर्डर – एक जटिल मानसिक बीमारी

अच्छा स्वास्थ्य अंदरूनी शक्ति , शांत मन और आत्मविश्वास लाता है। किन्तु यदि इस शरीर का अच्छे से ध्यान नहीं रखा जाता है, तो यह विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कुछ बीमारियां हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं वहीं कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं, जो हमारा मानसिक संतुलन बिगाड़ देती हैं। ऐसी ही एक काम्प्लेक्स मानसिक बीमारी का नाम है बाइपोलर डिसऑर्डर। विश्व बाइपोलर डिसऑर्डर दिवस हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है। बाइपोलर डिसऑर्डर जिसे हिंदी में द्विध्रुवीय विकार कहते हैं। इसके विषय में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायबरेली की मनोरोग चिकित्सक डॉ0 रश्मि शुक्ला ने जागरूकता हेतु जानकारी दी।
इस बीमारी में दो प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं तेज़ी एवं उदासी। ‘तेज़ी’ अवस्था के लक्षण- ज़्यादा बोलना, बड़ी-बड़ी बातें करना, नयी असम्भव योजनाएं बनाना, कम सोकर भी अधिक ऊर्जावान महसूस करना हैं। ‘उदासी’ की अवस्था के लक्षण किसी काम में मन न लगना, अरुचि होना, उदास रहना, रोने का मन करना, आत्मविश्वास की कमी, थकान व नींद की समस्या होना है। एक सामान्य व्यक्ति भी मूड में उतार-चढ़ाव महसूस कर सकता है परंतु जब यह लक्षण गम्भीर हो, ज़्यादा समय और लगातार रहे एवं इसमें व्यक्ति के पारिवारिक, समाजिक एवं आर्थिक जीवन में समस्याएं आने लगें तो यह मानसिक बीमारी का लक्षण हो सकता है और इसके लिए विशेषज्ञ का परामर्श लेना आवश्यक है।
भारत में 2015-2016 के सर्वे के अनुसार 0.३%(40-45 लाख) व्यक्ति इस मानसिक रोग से ग्रस्त हैं। जिनमें लगभग 70%(30-32लाख) इलाज से वंचित हैं। इस बीमारी का इलाज विभिन्न तरीकों जैसे दवाइयों एवं परामर्श से सम्भव है, जिससे मरीज सामान्य जीवन यापन कर सकता है।

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