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SC/ST OBC सीटों की चोरी पर UPSC की सफ़ाई बेदम क्यों

यूपीएससी ने इस मामले में सफ़ाई दी है कि नियम केंद्र सरकार ने बनायें हैं जिसके तहत ऐसा हो रहा है और काफ़ी दिनों से ऐसा चल रहा है। ज़ाहिर है,अपराध केंद्र के इशारे पर हो रहा है और काफ़ी दिनों से चलने वाला ज़ुल्म सही नहीं हो जाता। लोगों को देर से समझ में आया है तो वे विरोध कर रहे हैं। यूपीएससी का यह नियम राज्य भी लागू करेंगे और आरक्षित वर्गों की हज़ारों सीटें ख़त्म हो जाएंगी। यह रिज़र्व कैटेगरी को जनरल कैटेगरी बनाने का षड़यंत्र है संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी के 2019 के नतीजों को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इसे एक बड़ा घोटाला बताया जा रहा है। यूपीएससी ने 927 सीटों के बजाय सिर्फ 829 नतीजे घोषित किये और बाकी पर नियुक्ति करने में आरक्षित वर्गों की सीटें, सवर्णों को दी जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल लगातार फेसबुक लाइव के ज़रिये इस घोटाले की बारीकियाँ समझा रहे हैं। दिलीप कहते हैं कि इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि यह कम्युनल रिजर्वेशन नहीं है। हो सकता है कि आरक्षित वर्ग के कुछ लोग मेरिट में आ जायें, ऐसे में उन्हें जनरल कैटेगरी में माना जायेगा न कि आरक्षित वर्ग की। इस आधार पर आरक्षित वर्ग की सीटें कम नहीं की जा सकतीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस आलोक में कई और फ़ैसले किये हैं। लेकिन यूपीएससी लगातार ये काम कर रही है। यूपीएससी ने इस मामले में सफ़ाई दी है कि नियम केंद्र सरकार ने बनायें हैं जिसके तहत ऐसा हो रहा है और काफ़ी दिनों से ऐसा चल रहा है। ज़ाहिर है,अपराध केंद्र के इशारे पर हो रहा है और काफ़ी दिनों से चलने वाला ज़ुल्म सही नहीं हो जाता। लोगों को देर से समझ में आया है तो वे विरोध कर रहे हैं। यूपीएससी का यह नियम राज्य भी लागू करेंगे और आरक्षित वर्गों की हज़ारों सीटें ख़त्म हो जाएंगी। यह रिज़र्व कैटेगरी को जनरल कैटेगरी बनाने का षड़यंत्र है।

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