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दस्ताने पहनने से बढ़ सकता है कोरोना का खतरा

लखनऊ। लॉकडाउन का तीसरा चरण सोमवार से शुरू हो रहा है। इतने लम्बे लॉकडाउन के बावजूद कोरोना संक्रिमतों की संख्या कम नहीं हो रही है। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक लोगों की भ्रांतियां और लापरवाही भी इस महामारी को रोकने में आड़े आ रही है। ऐसा ही एक मामला दस्ताने का है। आजकल जब लोग जरूरत का सामान लेने घर से बाहर निकलते हैं तो ज्यादातर लोगों की कोशिश होती है कि मास्क और दस्ताने पहन कर ही निकला जाए,लेकिन दस्ताने के सही इस्तेमाल न करने के कारण कोरोना वायरस फैलने का खतरा और बढ़ रहा है।

ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ग्लव्स पहनते हैं। बीमार लोगों की देखभाल के दौरान नर्स भी ग्लव्स पहनती हैं। मकसद यह होता है कि इलाज करने वाला मरीज के खून या शरीर से निकलने वाले किसी भी तरल के संपर्क में ना आए। बैक्टीरिया या वायरस से ये बहुत ही कम वक्त के लिए ही बचा पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्लव्स जिस मैटीरियल से बने होते हैं वह पोरस होता है। जितनी ज्यादा देर तक इन्हें पहन कर रखा जाएगा कीटाणुओं के दस्ताने के भीतर घुस कर त्वचा में पहुंचना उतना आसान होता रहेगा। यही वजह है कि अस्पताल में काम करने वाले लोग बार बार दस्ताने बदलते हैं और हर बार उन्हें उतारने के बाद सेनेटाइजर या साबुन से अपने हाथ अच्छी तरह साफ करते हैं। यानी ग्लव्स पहनने का मतलब यह नहीं होता कि हाथ धोने से छुट्टी मिल गई।

ग्लव्स के झांसे में ना आएं

पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जन डा. अशोक कुमार के मुताबिक ग्लव्स पहन कर सुरक्षा का अहसास तो होता है, लेकिन यह अहसास आपको धोखा दे सकता है। जब लोग सामान खरीदने के लिए ग्लव्स पहन कर घर से बाहर निकलते हैं तो कोशिश जरूर करते हैं कि चेहरे को हाथ ना लगाएं लेकिन चूक तो हो ही सकती है। और खरीदारी के दौरान अगर आप ग्लव्स पहन कर अपने फोन को छू रहे हैं तो वायरस आसानी से आपके फोन की सतह पर फैल सकता है। फिर घर जा कर आप भले ही दस्ताने उतार कर फेंक दें लेकिन फोन को तो दोबारा हाथ में लेंगे ही। इसलिए कोशिश करें कि किसी चीज को छूने के बाद तत्काल सेनेटाइजर से हाथ को धोएं। घर में जाने के बाद ग्लब्स को फेंक दें और मास्क तथा कपड़े धूप में कम से कम तीन दिन तक सुखायें।

सिविल हास्पिटल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. अनिल कुमार के मुताबिक दस्तानों का गलत इस्तेमाल संक्रमण के खतरे को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है। वैसे भी डिस्पोजेबल ग्लव्स पहन कर हाथों में पसीना जल्दी आने लगता है। बैक्टीरिया और वायरस को फैलने के लिए यही तो चाहिए। यह स्वास्थ्य से जुड़ी बहुत बड़े स्तर पर हो रही गड़बड़ी है। ग्लव्स के नीचे गर्म और नम माहौल में रोगाणु आसानी से बढ़ते हैं। उन्हें उतारने के बाद यदि हाथों को सेनेटाइजर या साबुन से अच्छी तरह न धुला गया तो संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है।

अयोध्या मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डा. सलिलि श्रीवास्तव का मानना है कि साफ हाथ की तुलना में एक डिस्पोजेबल ग्लव कई गुणा ज्यादा बैक्टीरिया जमा कर सकता है। ग्लव्स के सही इस्तेमाल के लिए अच्छी खासी जानकारी और तजुर्बे की जरूरत होती है। उन्हें इस तरह से उतारना होता है कि ग्लव्स के कीटाणु ग्लव्स पर ही रहें और हाथों, कलाइयों या फिर आस्तीन पर ना लगें। कोरोना वायरस से बचना है, तो साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं, लोगों से उचित दूरी बनाए रखें और घर पर रहें। अगर फिर भी आपका मन नहीं मानता है और आप इनका इस्तेमाल करना ही चाहते हैं तो इस्तेमाल के फौरन बाद इन्हें फेंक दें। ध्यान रहे इन्हें लापरवाही से इधर उधर पड़े ना रहने दें। और उतारने के बाद अच्छी तरह साबुन या सेनेटाइजर से हाथ साफ करें।

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