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TATA ने 2019 के चुनावों के लिए राजनीतिक दलों पर लुटाये 500 करोड़ से ज्यादा

विभिन्न उद्योग घरानों द्वारा दिया जाने वाला चुनावी फंड विभिन्न राजनीतिक दलों के कमाई का प्रमुख श्रोत है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार टाटा समूह ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों को एक बड़ा चुनावी फंड दिया है. एक अनुमान के मुताबिक समूह ने कुल 500 से 600 करोड़ रुपये की धनराशि चंदे में दी, जो 2014 के चंदे से 20 गुना ज्यादा है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस चंदे में से अधिकांश सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को दिया गया है. राजनीतिक दलों को चुनावी चंदे देने के लिए टाटा समूह ने प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल फंड की स्थापना की है. इस ट्रस्ट के माध्यम से विभिन्न राजनीतिक दलों को दान दिया जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा समूह ने 2019 के लोकसभा चुनावों में कुल 500 से 600 करोड़ रुपये का फंड दिया. 2014 में टाटा समूह ने चुनाव निधि के रूप में केवल 25 करोड़ रुपये दिए थे. लेकिन इस साल, टाटा समूह की चुनावी फंडिंग बहुत बढ़ गई है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को टाटा ने सबसे ज्यादा चंदा दिया है. भाजपा को टाटा समूह से लगभग 300 से 350 करोड़ रुपये का दान मिला. कांग्रेस को केवल 50 करोड़ रुपये का दान दिया गया है. शेष 150 से 200 करोड़ रुपये में से तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सीपीआईएम, एनसीपी और अन्य दलों को दान दिया गया है. प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ऑफ टाटा ने कहा कि भाजपा को अधिक दान दिया गया जिसमें अधिक सदस्य हैं. टाटा ग्रुप की सभी सहयोगी कंपनियाँ प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट को दान देती हैं. फिर ट्रस्ट की ओर से धनराशि वितरित की जाती है. हालही में एक रिपोर्ट में सामने आया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के बाद लोगों ने नगदी में कैश देना कम कर दिया है. हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार इलेक्टोरल बांड से बीजेपी को वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल 221 करोड़ के चंदे में से 210 करोड़ मिले. जबकि कांग्रेस को केवल 5 करोड़ और बाकी पार्टियों को 6 करोड़ मिले.

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