वाराणसी वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़कर अपने आंदोलन को धार देने के लिए तेलंगाना के 50 किसान शनिवार को बस से लंबी यात्रा कर काशी पहुंचे। नामांकन पत्र लेने कलेक्ट्रेट पहुंचने पर उन्हें निराशा हाथ लगी। चौथा शनिवार होने से चुनाव प्रक्रिया से जुड़े कार्य बंद होने के कारण अब वे सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। तेलंगाना के निजामाबाद के किसान हल्दी किसान असोसिएशन ऑफ इंडिया से जुड़कर हल्दी का न्यूनतम मूल्य तय किए जाने को लेकर एक दशक से आंदोलनरत हैं। बनारस आए किसानों की अगुवाई कर रहे तिरुपत्ती रेड्डी ने बताया कि जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करने के बावजूद सरकार किसानों की बात सुन नहीं रही है, इसलिए अब वे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से ही चुनाव लड़कर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। रेड्डी ने वाराणसी के किसानों का समर्थन मिलने और प्रस्तावक बनने का दावा किया। साथ ही यह भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री मीडिया के सामने बोर्ड गठित करने समेत अन्य मांगों पर विचार करने का आश्वासन देते हैं तब वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। किसान महेंद्र ने बताया कि विश्व में हल्दी की खेती की 90 फीसदी उपज तेलंगाना में होती है। 30 से 40 लाख टन पैदावार के बावजूद हल्दी की खेती करने वाले किसान उपेक्षित हैं। चुनाव लड़कर जीतने के बाद संसद में हल्दी बोर्ड के गठन पर जोर देंगे ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिल सके।