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राजनीति

सिर्फ विकास के मुद्दे पर चुनाव जीतना मुश्किल है

भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी अपने मस्तमौला बयानों के लिए जाने जाते हैं। डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने आदर्शों के लिए निर्भीक होकर संघर्ष किया है। अर्थशास्त्र में डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त स्वामी प्रखर वक्ता हैं। डॉ. स्वामी एक प्रतिभाशाली गणितज्ञ के तौर पर मशहूर रहे हैं और उन्हें कानून का अच्छा जानकार भी माना जाता है। उन्होंने भारत में आपातकाल के दौरान संघर्ष, तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर यात्री मार्ग खुलवाने में उनके प्रयास, भारत-चीन सम्बन्धों में सुधार, भारत द्वारा इजरायल की राजनैतिक स्वीकारोक्ति, आर्थिक सुधार और हिन्दू पुनरुस्थान आदि अनेक उल्लेखनीय कार्य किये हैं। डा. स्वामी को जिस वजह से सबसे ज्यादा पहचाना जाता है वो है कांग्रेस की खिलाफत और नेशनल हेराल्ड’ मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अदालत तक घसीटने के लिए जिससे उन दोनों का राजनैतिक करियर को बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इस बार देखिए श्री राकेश गुप्ता के टाक शो “प्लस माइनस” कार्यक्रम में बीजेपी के सांसद, गणितज्ञ, मशहूर वकील और वक्ता डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी को, साधना टीवी सहित 15 अन्य चैनलों पर। “प्लस माइनस” कार्यक्रम में जब डा. स्वामी से पूछा गया कि उन्होंने हमेशा से नेगिटिव पालीटिक्स की है, उसके जवाब में उन्होंने कहा कि वह अपराधियों को पकड़वाते हैं और अपराधी को पकड़ना नेगेटिव पालिटिक्स नहीं होती है। उन्होंने जिनपर भी आरोप लगाए उसका प्रमाण कोर्ट में दिया है और कोर्ट ने भी उनको दोषी माना हैं। उन्होंने जिनपर भी आरोप लगाए हैं वह अभी जमानत पर रिहा हैं। उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार सहन नहीं कर सकते हैं। अपनी पार्टी के खिलाफ बोलने के सवाल पर डा. स्वामी ने कहा कि गलत, गलत होता है चाहे कोई भी करे और लोकतंत्र में गलत का विरोध जरूरी है वरना आने वाली पीढ़ी पूछेगी कि आपने गलत का विरोध क्यों नहीं किया तो क्या जवाब देंगे। लोकतंत्र ने बोलने की आजादी ही है इसलिए वह बोलते हैं। क्या बीजेपी में बोलने का मौका नहीं मिलता के जवाब में डा. स्वामी ने कहा कि उन्होंने जिन बातों को लेकर सरकार की आलोचना की उसपर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने जिन मुद्दों पर विरोध किया उसपर आलोचना के बाद सरकार ने बदली नीतियां बदली हैं। जिन मामलों में चर्चा के बिना फैसला हुआ उन्होंने उसका ही विरोध किया है। जीएसटी पर विदेशी कंपनियों की साझेदारी पर उन्होंने विरोध किया था तो प्रधानमंत्री ने भी उस विश्लेषण को सही माना और उसपर अमल किया। अलग-अलग प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने के अनुभव के बारे में पूछने पर डा. स्वामी ने कहा कि सभी प्रधानमंत्रियों के काम काज में ज्यादा फर्क नहीं था। मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर, राजीव गांधी और नरसिम्ह राव उनकी बात सुनते थे और मानते भी थे पर नरेंद्र मोदी के साथ वैसी सीधी बातचीत नहीं हो पाती है। मोदी के कुछ करीबी नहीं चाहते कि उनसे किसी का भी सीधा संवाद हो। इमरजेंसी के दौरान अपनी भूमिका को लेकर डा. स्वामी ने कहा कि वह इस आंदोलन से इसलिए जुड़े क्योंकि उनको जयप्रकाश नारायण की नीतियां पसंद थी। जेपी का उनपर काफी प्रभाव पड़ा था। जेपी के कहने पर ही वह विदेश गए थे और वहां से इंदिरा गांधी के खिलाफ प्रचार किया था और विश्व को इंदिरा की ज्यादतियों के बारे में बताया था। विदेश में प्रचार का अच्छा असर हुआ और लोगो को इंदिरा गांधी के गलत खबर प्रचारित करने के सच का पता चला। इंदिरा सरकार ने नेताओं की गिरफ्तारियों की जो बात छिपाई था उसका खुलासा हुआ। संसद में भाषण देने की लिए उन्होंने काफी तैयारी की थी। वहां भाषण देकर वह विदेश लौट गए थे। इसका व्यापक प्रभाव पड़ा था। मोदी सरकार पर संघ का कितना प्रभाव है पूछने पर डा. स्वामी ने कहा कि संघ के लिए सब बच्चों की तरह हैं। संघ कभी जबरदस्ती नहीं करती पर अगर संघ का कार्यकर्ता रूठ जाए तो वह बूथ पर नहीं जाता है और अगर कार्यकर्ता बूथ पर नहीं जाता तो बीजेपी जीत नहीं सकती। संघ देश की एकता अखंडता के लिए कृतसंकल्प है और साथ ही हिंदू एकता के लिए भी कृतसंकल्प है। देशहित के काम होते रहे तो संघ खुश रहता है। स्वदेशी अपनाने के नारे के बारे पूछने पर डा. स्वामी ने कहा कि उनके स्वदेशी का मतलब पुराने जमाने में लौटना नहीं है। वह चाहते हैं कि जो देश का प्रतिनिधित्व करते हैं उनको स्वदेशी अपनाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी के वह प्रशंसक है क्योंकि वह स्वदेशी सामानों का सम्मान भी करते हैं और इस्तेमाल भी। देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बतौर अर्थशास्त्री उनकी राय क्या है के जवाब डा. स्वामी ने कहा कि उनकी राय में इनकम टैक्स को खत्म करना चाहिए,लोन पर ब्याज 9 से 6 प्रतिशत कर देना चाहिए और फिक्स डिपाजिट पर 6 के स्थान पर 9 प्रतिशत ब्याज देना चाहिए।

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