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सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी की इजाजत वाले फैसले पर मोदी सरकार को नोटिस जारी किया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उसके उस फैसले पर नोटिस जारी किया है जिसमें सरकार ने देश की प्रमुख 10 एजेंसियों को देश के सभी कंप्यूटरों की सूचनाओं का इंटरसेप्शन, निगरानी और डिक्रिप्शन का अधिकार दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि खुफिया ब्यूरो (आईबी), मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की निगरानी करने का अधिकार होगा. सरकार के इस आदेश को लेकर काफी विवाद हो रहा है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजय किशन कौल के साथ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने अधिसूचना के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने आज मामले में सरकार को नोटिस जारी किया और छह सप्ताह के बाद मामले की सुनवाई होगी. उसी समय इस याचिका पर विचार किया जाएगा कि क्या गृह मंत्रालय के इस आदेश पर रोक लगाया जा सकता है या नहीं. बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक इस आदेश को वकील एमएल शर्मा ने अवैध, असंवैधानिक और जनहित के विपरीत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. यह भी कहा गया है कि इस आदेश के आधार पर नागरिकों को सरकार के विरोध में विचार व्यक्त करने के लिए दंडित किया जा सकता है. कानून के जानकार और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने भी सरकार के इस आदेश को लेकर हैरानी जताई है. वरिष्ठ वकील इंदिया जयसिंह ने ट्वीट कर कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश का बड़ा उल्लंघन है. उन्होंने कहा, ‘श्रेया सिंघल समेत सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का ये बहुत बड़ा उल्लंघन है. आदेश में लिखा है कि ‘कोई भी सूचना’ को इंटरसेप्ट किया जा सकता है. इसका मतलब है कि इसमें फेसबुक प्रोफाइल और वाट्सऐप मैसेजेज जैसी चीजें भी शामिल होंगी.’

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